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कल और आज / नागार्जुन

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रचनाकार:[[नागार्जुन]] [[Category:कविताऍंकविताएँ]] 
[[Category:नागार्जुन]]
धूल में नहाते थे
गौरैयों गोरैयों के झुंड,
अभी कल तक