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क्यों न हो नाज़ ख़ाकसारी पर
तेरे क़दमों की धूल हैं हम लोग
आज आये आए हैं तेरे चरणों में
तू जो छू दे तो फूल हैं हम लोग
देश भगती भी हम पे नाज़ करे
हम को आज ऐसी देश भगती दे
तेरी जानिब है दुश्मनों की नज़र
अपने बेटों को अपनी शक्ती दे
अपने बेटों की आबरू रखना
तूने हम सब की लाज रख ली है
देशमाता तुझे हज़ारों सलाम
चाहिये हमको तेरा आशीर्वाद
शस्त्र उठाते हैं लेके तेरा नाम
रण में आकर संभालना माता
इस तरह से उछालना माता
अपने बेटों की आबरू रखना
हो गयी गई बन्द आज जिनकी जुबां
कल का इतिहास उन्हें पुकारेगा
जो बहादुर लहू में डूब गयेगए
वक़्त उन्हें और भी उभारेगा
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