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|रचनाकार=ओम पुरोहित कागद
|संग्रह=आदमी नहीं हैं / ओम पुरोहित कागद
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<Poem>
जब भी
मेरी आंखों में उगते है
भूल कर
पालने लगता हूं
वह स्वप्नघाती स्वप्रघाती भेड़
और फिर
कहीं भी
यहीं सवाल
मुझे कचोटता रहता है
</poem>