भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
ग़ालिब
,* [[आमों की तारीफ़ में / ग़ालिब]]
* [[अपना अहवाल-ए-दिल-ए-ज़ार कहूँ / ग़ालिब]]
* [[है आज क्यों ज़लील कि कल तक था नापसन्द / ग़ालिब]]
* [[कलकत्ते का जो ज़िक्र किया तूने हमनशीं / ग़ालिब]]
* [[सीने का दाग़ है / ग़ालिब]]
* [[ख़ुश हो ऐ बख़्त कि है आज तेरे सर सेहरा / ग़ालिब]]