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गरीबी से रईसों की सजी महफ़िल तक आ पहुँचा

अचानक भूख का अँधा सफर मंजिल तक आ पहुँचा


जिन्हें बचना था उनके वास्ते ढेरों बहाने थे

मुझे तो कत्ल होना था, मैं ख़ुद कातिल तक आ पहुँचा


तरक्की, कामयाबी, ऐश, पैसा, सब तो हासिल हैं

बहुत आसान था जीवन मगर मुश्किल तक आ पहुँचा


क़दम छू लेने वालों की परख में हम ने यह पाया

गुलामी का असर जो खून में था, दिल तक आ पहुँचा


कुँए, तालाब के किस्से तो देहातों में होते थे

ये सूखा मस-अ-ला क्यों शहर के साहिल तक आ पहुँचा<poem/>