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{{KKRachna
|रचनाकार=मुकेश मानस
|संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मानस
}}
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}}
<poem>
जो रह गया
उसका ज़िक्र मत करो
जो आने वाला है
उसकी फ़िक्र मत करो
जो पल मिले हैं
उन्हें जी भर जीओ
मरने से पहले मत मरो
2007-08
<poem>
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|रचनाकार=मुकेश मानस
|संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मानस
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जो रह गया
उसका ज़िक्र मत करो
जो आने वाला है
उसकी फ़िक्र मत करो
जो पल मिले हैं
उन्हें जी भर जीओ
मरने से पहले मत मरो
2007-08
<poem>