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तिरे इश्क़ की इंतहा चाहता हूँ
 
मिरी सादगी देख, क्या चाहता हूँ
सितम हो कि हो वादा-ए-बेहिजाबी <ref>पर्दादारी हटाने का वादा</ref>
कोई बात सब्र-आज़मा <ref>धैर्य की परीक्षा लेने वाली</ref> चाहता हूँ
सितम हो कि हो वादा-ए-बेहिजाबीवो कोई बात सब्र-आज़मा चाहता हूँ  वे जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों <ref>धैर्य की परीक्षा लेने वाली</ref> को 
कि मैं आपका सामना चाहता हूँ
 
कोई दम का मेहमाँ हूँ ऎ अहले-महफ़िल
 चिराग़े-सहर <ref>भोर का दीया</ref> हूँ बुझा चाहता हूँ 
भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी
बड़ा बे-अदब<ref>असभ्य
</ref> हूँ सज़ा चाहता हूँ
बड़ा बे-अदब हूँ सज़ा चाहता हूँ
 
 
'''शब्दार्थ :
वादा-ए-बेहिजाबी=पर्दादारी हटाने का वादा; सब्र-आज़मा=धैर्य की परीक्षा लेने वाली; ज़ाहिदों=संयम से रहने वालों को</poem>{{KKMeaning}}