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Kavita Kosh से
मजबूरियो के हक में कुछ फैसला तो होगा
विपरीत है हवाएँहैंहवाएँ, गुम हो गई दिशाएँ
जंगल के सिलसिलों मे कोई रास्ता तो होगा
इतिहास ने कही कहीं भी जिनको जगह नहीं दी
कुछ मेहरबान उन पर जुगराफिया तो होगा
पूजाघरों में कैसे ये दाग दिखते दिख रहे हैंइश्वर ईश्वर भी कुछ क्षणों को थर्रा गया होगा
जो ज़िन्दगी के हक को नाहक बना रहे हैं
उनके मुकाबले में कोई खड़ा तो होगा
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