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|संग्रह=क्या हो गया कबीरों को / शेरजंग गर्ग‎
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[[Category:ग़ज़ल]]{{KKCatGhazal}}
<poem>
खुश हुए मार कर ज़मीरों को।
रास्ते साफ़ हैं, बढ़ो बेख़ोफ़,
कैसे समझाए रहगीरो रहगीरों को!
दिल में नफरत की धूल गर्द जमी
हम सजाते रहे शरीरो शरीरों को।
कृश्न के देश में सुशासन जन,