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एक और दिन / गुलज़ार
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13:54, 23 सितम्बर 2010
यूँ भी होता है कोई खाली-सा- बेकार-सा दिन
ऐसा बेरंग-सा बेमानी-सा बेनाम-सा दिन
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द्विजेन्द्र द्विज
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