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शहर / लीलाधर मंडलोई

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<poem>

शहर में जब नहीं मिले
सोगहक नरम मूली
बधुआ का साग
पापड़
और चूल्‍हे से उतरते गरम-गरम फुल्‍के

गांव से आये पिता
लौट गये

बाजार ऐसा न था कि रोक सके
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