भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
<sort order="asc" class="ul">
* [[किस कदर तंग है ज़माना कि फ़ुरसत ही नहीं / पुरुषोत्तम 'यक़ीन']]
* [[हम समझते थे जिन्हे ताबो-तवां तवाँ का पैकर / पुरुषोत्तम 'यक़ीन']]
* [[सो न जाना कि मेरी बात अभी बाकी है / पुरुषोत्तम 'यक़ीन']]
* [[फ़र्ज़ की बंदिश में दिल ये प्यार से मज़बूर है / पुरुषोत्तम 'यक़ीन']]