भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

झिम्मा

60 bytes removed, 18:53, 26 अक्टूबर 2010
माझ्या माहिरी मायबाई । डोळे लावुनी वाट पाही
तिला खुशाली सांगाया जा । माझ्या माहिरी पाखरा जा ।। हू हू ।।
 
www.khapre.org से प्रतिबिम्बित
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits