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Kavita Kosh से
नहीं पकड़ी
ऊपर उठी हुई अनुगूंजअनुगूँज
बहरे आकाश ने
लेकिन
पकड़ लिया उसे
गली में बैठे हुए
'''अनुवाद : मोहन आलोक'''
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