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Kavita Kosh से
लिखा है, लिखा है, लिखा है!
दिल की मंजिल में
साँसों के चलने में
रगों के खून में
ज़ुबान के अरमान में
मंज़र की ख़ूबसूरती में
पेड़ की जड़ों में
फूल की खुशबू में
ज़मीन की रेत में
मोहब्बत के नग़ीने में
प्यार की नुमाइश में
इश्क की फरमाइश में
चाहत की खुशी में
सूरज की किरण में
चाँद की रौशनी में
तारे की झलक में
सितारे के चलने में
नज़र के झलकने में
कशिश की सिद्दत में
धड़कन के अहसास में
बदन के ज़र्रों में
अजनबी की पहचान में
कदरदान की तारीफ में
दोस्ती की अहमियत में
मेहरबान के सलाम में
ज़ुमले के मायने में
लफ्ज़ की कशिश में
सुर की आवाज़ में
आवाज़ की पहचान में
अँधेरे के कायम रहने में
बिजली की कड़क में
तूफान की आग़ाज़ में
हवा के झोंके में
लिखा है, नाम सिर्फ़ आपका
लिखी है, पहचान सिर्फ़ आपकी
लिखा है अहसास, लिखी है हर साँस
लिखा है, लिखा है, लिखा है!