भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
<poem>
इन आँखों से दिन-रात बरसात होगी
अगर ज़िंदगी सर्फ़-ए-जज़्बात <ref>भावनाओं में ख़र्च</ref> होगी
मुसाफ़िर हो तुम भी, मुसाफ़िर हैं हम भी
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी
सदाओं को अल्फाज़ <ref>शब्द</ref> मिलने न पायें
न बादल घिरेंगे न बरसात होगी
चराग़ों को आँखों में महफूज़ <ref>सुरक्षित</ref> रखना
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी
अज़ल-ता-अब्द <ref>आदि से अंत</ref> तक सफ़र ही सफ़र है
कहीं सुबह होगी कहीं रात होगी
</poem>
{{KKCatMeaning}}