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गम की जलन भरी छाया में
बिजली ने ज्यों फूल छुआ है, ऐसा मेरा हृदय हुआ है
पता नहीं क्या क्या कहता हूँ , अपने बस में आज न हूँ मैं रचना यहाँ टाइप करें</poem>