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{{KKCatGhazal}}
<Poem>वो अब तिजारती पहलू निकाल लेता है
मैं कुछ कहूं तो तराजू निकाल लेता है
बहुत कठिन है मगर तू निकाल लेता है,
मैं इसलिए भी तेरे फेन फ़न की कद्र क़द्र करता हूँ,
तू झूठ बोल के आंसू निकाल लेता है,
वो बेवफाई का इज़हार यूं भी करता है,
परिंदे मार के बाजू निकाल लेता है ....</poem>