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अगर ज़िंदा हैं क़िस्मत से बुजुर्गों की दुआ कहिए
हमारा नाम शामिल है वतन के जाँनिसारों <ref>जान छिड़कने वाले</ref> मेंमगर यूँ तंगनज़री <ref>संकीर्ण-दृष्टि</ref> से हमें मत बेवफ़ा कहिए
तुम्हीं पे नाज था हमको वतन के मो’तबर <ref>प्रतिष्ठित</ref> लोगों
चमन वीरान-सा क्यूँ है गुलों को क्या हुआ कहिए
जिसे तुम क़त्ल कहते हो उसे इनकी अदा कहिए
</poem>
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