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रचनाकार=सर्वत एम. जमाल
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इलाके भर में चर्चा है, खबर है
अजूबा किसने देखा है, खबर है

जिसे तूफ़ान बतलाती है दुनिया
हवा का एक झोंका है, खबर है

रहा करते थे जो पर्दों में छुपाकर
अब उनका आम जलवा है, खबर है

बुझाने प्यास आए हो मुसाफिर
लबे दरिया पे पहरा है, खबर है

बियाबां से निकल तो आए राही
करीब एक और सहरा है, खबर है

इधर तुम चैन से सोये पड़े हो
उधर कुहराम बरपा है, खबर है

किसे हीरा समझ बैठे हो सर्वत
दिल इक नाज़ुक सा शीशा है,खबर है </poem>