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क्यों अचेतन रोम पाते चिर व्यथामय सजग जीवन?<br>
किसलिये हर साँस तम में<br>
सजल दीपक राग गाती?<br><br>
चांदनी के बादलों से स्वप्न फिर-फिर घेरते क्यों?<br>
मदिर सौरभ से सने क्षण दिवस-रात बिखेरते क्यों?<br>
सजग स्मित क्यों चितवनों के<br>
सुप्त प्रहरी को जगाती?<br><br>
मेघ-पथ में चिह्न विद्युत के गये जो छोड़ प्रिय-पद,<br>
जो न उनकी चाप का मैं जानती सन्देश उन्मद,<br>
किसलिये पावस नयन में<br>
प्राण में चातक बसाती?<br><br>
कल्प-युगव्यापी विरह को एक सिहरन में सँभाले,<br>
शून्यता भर तरल मोती से मधुर सुधि-दीप बाले,<br>
क्यों किसी के आगमन के<br>
शकुन स्पन्दन में मनाती?<br><br>