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विश्वास / अनिरुद्ध प्रसाद विमल
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उसने कहा था कि मैं सुबह तक
जरुर लौट आऊँगा
पर वह लौटता कैसे
जिसकी जिन्दगी में
कभी सुबह हुई ही नहीं
लेकिन
वह हारा नहीं है
वह जरुर लौटेगा
और
इस बार
जब वह लौटेगा
तो उसके हाथ में
एक नया सूरज होगा