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विषाद - 2 / विजेंद्र एस विज

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उन्होंने मुझे शामिल नहीं किया
अपनी बिरादरी में....
सभी परिभाषाओं को नकारते हुए
मैंने छलांग लगाने की कोशीश की
तो आत्म विश्वास आड़े आ गया
अब वह मुझे पाताल की ओर
धकेले लिए जा रहा है...