भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वेद छाड़ा फकिरे एइ धारा बाउल) / बांग्ला
Kavita Kosh से
♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
माने ना केताब-कोरान नबीर तरीक छाड़ा।
मसरेक तरीक धरे ,चन्द्र-सूर्य पूजा करे,
पंचरस साधन करे , चन्द्र भेदी यारा।।
सरल चन्द्र, गरल चन्द्र, रोहिणी चन्द्र धारा
रस-बीज मिल करे पार करछे तारा।।
सब चूल माथाय जटा, काय सिद्दि भाँग घोंटा,
कथा कय एलो मेलो, बुझा याय ना सेटा ।।
तादेर भंगी देखे लोक तुले याय गानेर बड़ घटा।
ए दीन रसिक बले बेतरीक से आउल-बाउल नेड़ा।