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शब्दों से आगे कहना है / अश्वनी शर्मा

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शब्दों से आगे कहना है
कब कह पाता जो कहना है।

मैं हूं एक पवन का झोंका
मजबूरी है तो बहना है।

गुलशन को कुछ और सवारूं
सांझ ढले तक तो रहना है।

कितनी भी दीवारें चुन लो
वक्त के आगे सब ढहना है।

किस्सों-किस्सों की दुनिया है
हिस्सों-हिस्सों में सहना है।

शब्दों को ताकत समझूं तो
वो कहते हैं इक गहना है।