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शहर में साँप / 20 / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय
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साँप के देख केॅ
शेर भागे लागलै
वें कहलकै/भागे कहाँ छोहो
साँप छिकिए
आदमी नै।
अनुवाद:
साँप को देख
शेर भागने लगा
उसने कहा/भागते क्यों हो
साँप हूँ
आदमी नहीं हूँ।