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शृंगार-लतिका / द्विज/ पृष्ठ 7
Kavita Kosh से
- एकै ह्वै बिबि-रूप, राधिका-स्याम कहावैं / शृंगार-लतिका / द्विज
- उन्नत, पीन पयोधर की छबि / शृंगार-लतिका / द्विज
- भूषण सारे सँवारे जराउ, जिन्हैं लखि तारे लगैं अति फीके / शृंगार-लतिका / द्विज
- छबि चंद्रिका की सरसाइ सबै बिधि / शृंगार-लतिका / द्विज
- ज्यौं घनस्याम-से स्याम बने / शृंगार-लतिका / द्विज
- जा दिन तैं सुधि आई हिऐं / शृंगार-लतिका / द्विज
- दोऊ चंद-चकोर से ह्वै हैं अली! / शृंगार-लतिका / द्विज
- ’द्विजदेव’ जू नैंक न मानी तबै / शृंगार-लतिका / द्विज
- बहि हारे सीतल सुगंधित समीर धीर / शृंगार-लतिका / द्विज
- मंजु-मंजु गुंजत मलिंदन की प्यारी-धुनि / शृंगार-लतिका / द्विज