- ठौर-ठौर निरखि मरंद सौ झरत रस / शृंगार-लतिका / द्विज
 - आसिष पाइ, उपाइ-बिनु / शृंगार-लतिका / द्विज
 - चाँहत करन प्रसिद्ध इत / शृंगार-लतिका / द्विज
 - अति मींठी मति के बसैं / शृंगार-लतिका / द्विज
 - उर-अंतर आवत इती / शृंगार-लतिका / द्विज
 - आई न जो बक-बावरे पैं / शृंगार-लतिका / द्विज
 - लखि-लखि कुमति कुदूषनहिं / शृंगार-लतिका / द्विज
 - कलम गह्यौ मनकै सुदृढ़ / शृंगार-लतिका / द्विज
 - रसिक छमैंगे भूल / शृंगार-लतिका / द्विज
 - रसिक रीझिहैं जानि / शृंगार-लतिका / द्विज