Last modified on 6 जुलाई 2011, at 07:27

रसिक छमैंगे भूल / शृंगार-लतिका / द्विज

सोरठा
(कवि प्रार्थना-वर्णन)

रसिक छमैंगे भूल, ग्रंथ लिख्यौ जिनके हितै ।
पढ़त-गुनत सुख-मूल, प्रति आखर सबकौं सुखद ॥