भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

श्री यमुना सी नाही कोउ और दाता / गोविन्ददास

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

श्री यमुना सी नाही कोउ और दाता।
जो इनकी शरण जात है दौरि के, ताहि को तीहिं छिनु कर सनाथा॥१॥

एहि गुन गान रसखान रसना एक सहस्त्र रसना क्यों न दइ विधाता।
गोविन्द प्रभु तन मन धन वारने, सबहि को जीवन इनही के जु हाथा॥२॥