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संवेदना का तार हूँ, मधुरे! तुम्हारा प्यार हूँ / आनन्द बल्लभ 'अमिय'

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शब्द हूँ शृंगार का,
मैं पंक हूँ और क्षार सा,
पर तेरे हृदय की ममता का सदय आगार हूँ,
संवेदना का तार हूँ, मधुरे! तुम्हारा प्यार हूँ!

कामना हूँ मन में तेरे,
गुल-सा खिला हूँ तन में तेरे,
पुष्पधन्वा के शरों का उर में तेरे वार हूँ,
संवेदना का तार हूँ, मधुरे! तुम्हारा प्यार हूँ!

ज्वाल-सा वीभत्स हूँ
परिवर्तनों का उत्स हूँ,
महि चन्द्र के प्रणय की बेला का प्रमाणित ज्वार हूँ,
संवेदना का तार हूँ, मधुरे! तुम्हारा प्यार हूँ!

तेरी ज्योति से प्रकाशित हूँ,
आनन्द हूँ आनन्दित हूँ,
तू बन गई मेरी संगिनी वैतरिणी से भी पार हूँ,
संवेदना का तार हूँ, मधुरे! तुम्हारा प्यार हूँ!