भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सबसे अधिक ऊँचाई पर / नरेश अग्रवाल
Kavita Kosh से
हमने अनगिनत सीढ़ियाँ पार की होंगी
और अब हम सबसे अधिक ऊँचाई पर हैं
यहाँ से दिखलाई देता है
पूरा का पूरा शहर एक साथ
जितना हमने सोचा था उससे बहुत बड़ा
सामने की सड़क पर सबसे अधिक आवाजाही है
घरों में छतें कहीं कंक्रीट की हैं तो कहीं टीन की
और उस बड़ी झील पर भी
बना लिये हैं लोगों ने घर
जिससे छोटी हो गयी है झील
फिर भी काफी जगह बची है
जिन पर चल रहे हैं शिकारे
सैलानियों को मस्ती भरी सैर कराते हुए
उन पहाड़ों की ओर भी खड़ी हैं बहुत सी नावें
लोगों का इंतजार करती हुई
और सूरज डूब रहा है धीरे-धीरे
मानो इस झील में ही
जिसके रंग से रंगीन हो गयी है सारी झील