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सर्दियों में होती हूँ कोई जानवर / वेरा पावलोवा
Kavita Kosh से
सर्दियों में
होती हूँ कोई जानवर,
एक बिरवा
बसंत में,
गर्मियों में
पतंगा,
तो परिंदा
होती हूँ पतझड़ में.
हाँ औरत भी होती हूँ बाक़ी के वक़्त में ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल