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सान्ध्य घर / जय गोस्वामी / रामशंकर द्विवेदी
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आई हो
शाम को
चली जाओगी
कुछ क्षण बाद
उसका यह
बैठे रहना शान्त होकर
मानो है प्रकाश का फैलना
जिस प्रकाश से
भर गया है कमरा
मूल बाँगला भाषा से अनुवाद : रामशंकर द्विवेदी