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सिर / फुलवारी / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
छिपा हुआ काले बालों से
यह दिमाग का घर है।
इसीलिए धड़ से ऊँचा
होता हम सब का सिर है॥
बुद्धि इसी में रहती है जो
राह हमें दिखलाती।
अच्छे और बुरे का अंतर
है हम को बतलाती॥