भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सीता-राम, उर्मिला-लक्ष्मण / हनुमानप्रसाद पोद्दार

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सीता-राम, उर्मिला-लक्ष्मण, माण्डवि-भरत मंगलाधार।
          शुचि, श्रुतिकीर्ति-शत्रुहन्‌, गौरी-हर, भुशुण्डि, हनुमान उदार॥
आदि महाकवि बाल्मीकि मुनि, तुलसीदास भक्त सुखधाम।
          अष्ट अष्टदल-मध्य सुशोभित, केन्द्र राम-सीता अभिराम॥
मंगलमय इनका जो करता श्रद्धायुत नित पूजन-ध्यान।
          पाकर सीताराम-प्रेम वह बनता परम भक्त मतिमान॥