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सोच कर पांव अपने उठाया करो / रंजना वर्मा
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सोच कर पांव अपने उठाया करो
दोष मत दूसरों पर लगाया करो
दर्द तो इस ज़माने की जागीर है
अश्क़ आंखों से मत यूँ बहाया करो
नेकियाँ जो खुदा ने हमें बख़्शी दीं
यूँ जमाने में उस को न जाया करो
रातरानी महकती रहे रात भर
पौध आँगन में उसकी लगाया करो
हम मिले थे जहाँ पर कभी मीत बन
तुम उसी ठौर पर रोज़ आया करो
यूँ तो रिश्ते बनाना है आसां बहुत
हैं जो रिश्ते उन्हें भी निभाया करो
कद्र करते नहीं हैं जो जज़्बात की
सामने उनके मत गीत गाया करो
चाँद हो तुम बने चाँदनी के लिये
यूँ न जलवे सभी पर लुटाया करो
हैं मुखौटे लगाये यहाँ पर सभी
बार हर यार को आजमाया करो