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सोच का रंग / सदानंद सुमन
Kavita Kosh से
तुम्हारे चेहरे के
पीलेपन को देख कर
मेरी सोच का रंग
लाल हो गया है
मैं जानता हूँ
तुम्हारे खोये
हरेपन की वापसी के लिए
अब श्वेत की नहीं
लाल की ही जरूरत है।