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स्वप्निल शत प्रतिशत होते हैं / शिव ओम अम्बर

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स्वप्निल शत प्रतिशत होते हैं,
कवि खुशबू के ख़त होते हैं।

उनसे भी होती है अर्चा,
अक्षर भी अक्षत होते हैं।

सुख के सौ-सौ युग क्षणभंगुर,
दुख के पल शाश्वत होते हैं।

विद्वज्जन उद्धत होते हों,
विद्यावन्त विनत होते हैं।

बनते उत्स महाकाव्यों के,
आँसू सारस्वत होते हैं।