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हमारी आपकी यारी से निकले / जहीर कुरैशी
Kavita Kosh से
हमारी-आपकी यारी से निकले
कई रस्ते समझदारी से निकले
बहुत कम थे, जो यूँ ही चल पड़े थे,
सफर पर लोग तैयारी से निकले
उन्हीं फूलों को मिल पाती है इज्जत
जो हिम्मत करके फुलवारी से निकले
अजब थे खेल आतिश-बाजियों के
अगन के पेड़ चिंगारी से निकले
जो स्पर्धाओं में पीछे रह गए थे
वो आगे ही ‘कलाकारी’ से निकले
तुम्हारे इस महल के सामने से
बहुत कम लोग खुद्दारी से निकले
जो सच्चे रंग हैं ‘सद्भावना’ के
सदा होली की पिचकारी से निकले