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हर रस्मो-रिवायत को कुचल सकती हूँ / जाँ निसार अख़्तर

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हर रस्मो-रिवायत को कुचल सकती हूँ
जिस रंग में ढालें मुझे ढल सकती हूँ

उकताने न दूँगी उनको अपने से कभी
उनके लिये सौ रूप बदल सकती हूँ