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हवा का विलाप-1 / इदरीस मौहम्मद तैयब

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पानी फाड़ता है अपनी ही छाती को
एक रहस्यमयी आवाज़ को अपनी ताक़त बतला कर
हवा भय को समर्पित करती अपना विलाप
गूँज बनती है टकरा कर

रचनाकाल : 21 अगस्त 2005, रोम

अंग्रेज़ी से अनुवाद : इन्दु कान्त आंगिरस