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हसन-हुसैन की स्तुति / रसलीन
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आये जब भूम तब तिहूँ लोक परी धूम,
सब जग पग चूम लीन्हें सुख चैन हैं।
नाने जिनके रसूल पिता अली मकबूल,
भाई हैं बुतूल जिन जाये अच्छी रैन हैं।
ऐसो कुल सुभ जाको कौन सरबर ताको,
मेरो मन सदा छाको बोलत पी बैन है।
जाके दर दरमादे होइ जात साहजादे,
दीन दुनी को खुलादे हसन हुसैन हैं॥13॥