भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हाइकु11 / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
आज संबंध
घड़ी री सूइयां ज्यूं
मिलै-बिछड़ै
दरपण तो
नीं करै गै‘रो घाव
आंख रो दाई
बादळ नईं,
बाप हुवै अकास
सदा छायो रै