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हाइकु / अज्ञेय
Kavita Kosh से
याद
(1)
कैसे कहूँ कि
किसकी याद आई?
चाहे तड़पा गई।
(2)
याद उमस
एकाएक घिरे बादल में
कौंध जगमगा गई।
(3)
भोर की प्रथम किरण फीकी :
अनजाने जागी हो
याद किसी की--
हिन्दी में हाइकु हाइकु के सफल प्रयोग का श्रेय अज्ञेय को दिया जाता है, उन्होंने छठे दशक (१९६०) में अरी ओ करुणा प्रभामय (१९५९) में अनेक हाइकुनुमा छोटी कविताएँ लिखी हैं जो हाइकु के बहुत निकट हैं। जिन पर अब भी लगातार शोध जारी है।