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होली है जी होली है / कमलेश द्विवेदी
Kavita Kosh से
होली है जी होली है, बुरा न मानो होली है।
रंग खेलने निकली सबसे फिर बच्चों की टोली है।
रंग-अबीर-गुलाल लिये हैं,
हाथों में पिचकारी।
आज न बचने पाये कोई,
ऐसी है तैयारी।
'पापा-मम्मी को रँग दूँगी' गुड़िया रानी बोली है।
होली है जी होली है, बुरा न मानो होली है।
कोई लाल-लाल दिखता है,
कोई-काला-काला।
लंगूरी बन्दर-सा दिखता,
सबका रूप निराला।
कोई ऐसा रंग-बिरंगा जैसे रँगी रँगोली है।
होली है जी होली है, बुरा न मानो होली है।
होली का आनंद उठायें,
गुझिया-पापड़ खायें।
सबके साथ सदा हिल-मिल कर,
हम त्यौहार मनायें
हर कोई प्यारा है अपना हर कोई हमजोली है।
होली है जी होली है, बुरा न मानो होली है।