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"सुबह" क्या सचमुच होगी ? / एमिली डिकिंसन
Kavita Kosh से
'सुबह' क्या सचमुच होगी ?
'दिन' जैसी कोई वस्तु होती है क्या ?
क्या मैं उसे पहाड़ों से देख पाती
यदि मैं उन्हीं की तरह ऊँची होती ?
क्या उसके कुमुदिनी की तरह पैर हैं ?
क्या उसके पंछी की तरह पर हैं ?
क्या वह उन प्रसिद्ध देशों से आयात होती है
मैंने जिनके बारे में कभी नहीं सुना ?
अरे कोई विद्वान! अरे कोई नाविक!
अरे कोई जादूगर आकाश का !
छोटे-से इस तीर्थयात्री को बताएगा
वह जगह जिसे 'सुबह' कहते हैं, कहाँ होती है !
अंग्रेज़ी से अनुवाद : क्रांति कनाटे