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'लौकिक संकेत' कविता-क्रम से-1 / मरीना स्विताएवा
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ढूंढ़ तू भी अपने लिए विश्वसनीय दोस्त
जिसने दिखाए न हों कोई करिश्मे ।
जानती हूँ- वीनस करतब है हाथों का
जानती हूँ- कौन है कलाकार और कैसी यह कला ।
उत्कृष्ट ख़ामोशियों से लेकर
हृदय के पूरा कुचले जाने तक
पूरे दिव्य सोपान-तन्त्र की सीमाएँ
निर्धारित होती हैं मेरे साँस लेने और न लेने से ।
रचनाकाल : 18 जून 1922
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह