अन्दर पाछै पाईए, पहले साईन बोट पढ़ले / दयाचंद मायना

अन्दर पाछै पाईए, पहले साईन बोट पढ़ले
चोर-जार माणस की नसीहत होई नोट पढ़ले...टेक

दरवाजे पै लाया है, इस्तिहार उसनै छापकै
आँख खोलकै देख बलवा, दस्तक तेरे बाप क
आवारों की तरिया फिरणा, काम ना असराफ के
सैन बोट म्हं दर्ज कराए ये खोट लच्छण आपके
ओरां तै के बूझै, तू आपणा-आप खोट पढ़ले...

जैसी करणी, वैसी भरणी, होता क्यूं नाराज है
हक, कायदे, कानून मुताबिक, करती ठीक समाज है
धक्के मारो, घर तै ताहद्यो, यो बदमासां का ईलाज है
चारों दरवाजों के ऊपर, डबल पहरा आज है
हट उल्टा धर कदम वापसी, लिख्या आऊट पढ़ले...

हक ना हिसाब तेरा ना यहाँ पर अकाऊटैंट है
आवारों का आधा-बाधा, ना पाइया ना पाऊण्ड है
ना कोए तेरा कोठी बंगला, ना कोए तेरा ग्राऊण्ड है
घर के अन्दर आणा तेरा, बिल्कुल आऊट ऑफ बाऊण्ड है
कदम-कदम पै खड़े सन्तरी, घेर-घोट पढ़ले...

कोए आच्छा कोए बुरा बतावै, भजनी माने आले नै
छेर जरा-सी छोड़ी ना, हद कर दी गाणे आले नै
आच्छा मौका ठीक बताया, टाईम रकाने आले नै
जाँच कै मारा सै तीर, सही निसाने आले नै
जख्म जिगर घा चसकै जिसका लागी चोट पढ़ले...

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