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अपनी कही हर बात मैं वापस लेता हूँ / निकानोर पार्रा / विनोद दास

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जाने के पहले
मुझे अपनी आख़िरी आरज़ू पूरी करने का मौक़ा मिलना ही चाहिए
मेरे फ़राख़दिल पाठक
इस किताब को जला दो
इसमें वह कुछ भी नहीं है जो मैं कहना चाहता था
हालाँकि यह ख़ून से लिखी गई थी
फिर भी यह वह नहीं है जो मैं कहना चाहता था

मुझसे बड़ा अभागा कौन होगा
जो अपनी परछाईं से ही हार गया
मेरे लफ्ज़ मुझसे बदला लेते हैं
मुआफ़ी चाहता हूँ ! पाठक ! मेरे नेक पाठक !
गर्मजोशी से गले मिलकर
मैं तुमसे विदा नहीं ले सकता
मैं तुमसे विदा लेता हूँ
ज़बरन ओढ़ी उदास मुस्कान के साथ

शायद कुल जोड़-जमा यही हूँ मैं, बस
लेकिन मेरी आख़िरी बात सुनो
जो कुछ भी मैंने कहा,सब कुछ मैं वापस लेता हूँ
दुनिया की इतनी कडुवाहट के साथ
अपनी कही हर बात मैं वापस लेता हूँ

अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास